सोनचिरैया

खो-खो खेल का नियम

0 | 30 Aug 2022
खो-खो खेल का नियम

इतिहास, खेल का मैदान, अंपायर एवं रैफरी, टाईम कीपर एवं स्कोरर परिणाम

खो-खो एक भारतीय खेल है। इस खेल का प्रारम्भ पूना में हुआ था। सन् 1960 में ’खो-खो फेडरेशन इंडिया’ की स्थापना की गई सन् 1960 में प्रथम राष्ट्रीय चैम्पियनशिप (पुरुष) का आयोजन किया गया सन् 1961 में महिलाओं की खो-खो चैम्पियनशिप प्रारम्भ की गई। सन् 1982 के ’एशियन खेल’ में खो-खो का प्रदर्शन मैच खेला गया लेकिन ऐशियन खेल में खो-खो को अभी तक सम्मिलित नहीं किया गया है।

खेल का मैदान:

खो-खो खेलने के लिए एक आयताकार मैदान की आवश्यकता होती है जो 27 मीटर लम्बा और 15 मीटर चैड़ा होता है। दोनों छोरों पर एक-एक अन्त बना होता है। जो 16 मीटर लम्बा और 2.70 मीटर चैड़ा होता है। मैदान के दोनों छोरों पर एक-एक पोल लगा होता है जो भूमि से 120 सेमी ऊँचे होते हैं। मैदान के मध्य में बीचो-बीच एक गली बनाई जाती है, जो 30 सेमी चैड़ी होती है। इस इलाके में आठ बराबर-बराबर इलाके बनाऐ जाते हैं,जो वर्गाकार होते हैं। इनकी लम्बाई और चैड़ाई 12 इंच × 12 इंच होती है।

खेल:

खो-खो का खेल दो टीमों के मध्य खेला जाता है। प्रत्येक टीम में 9 खिलाड़ी होते है, तथा 3 खिलाड़ी सबसटिटयूट होते हैै। प्रत्येक मेंच चार पारियों में खेला जाता है। प्रत्येक पारी 7 मिनट की होती है। प्रत्येक टीम दो पारियों मेें बैठती है और दो पारियों में भागती है। बैठने वाली टीम के खिलाड़ी ’मेजर’ कहलाते हैं और भागने वाले खिलाड़ी रनर कहलाते हैं। प्रारम्भ में तीन खिलाड़ी सीमा के अन्दर होते हैं इन तीनों के आऊट होने पर दूसरे तीन खिलाड़ी अन्दर आते हैं तथा बोलते हैं।

बैठे हुए खिलाड़ी में से नौवां खिलाड़ी, रनर्स को पकड़ने के लिए खड़ा होता है तथा खेल का प्रारम्भ करता है। वह नियमानुसार भागते हुए खिलाड़ियों को पकड़ने का प्रयास करता है और बैठे हुए खिलाड़ियों में से किसी भी खिलाड़ी को ’खो’ देता है। तत्पश्चात ’खो’ मिलने वाला खिलाड़ी रनर्स को उठाकर पकड़ता है और उसका स्थान पहले वाला खिलाड़ी ले लेता है। प्रत्येक मेजर पक्ष को एक रनर को आऊट करने पर एक अंक दिया जाता है। सभी रनरो के समय से पहले आऊट होने पर उनके विरूद्ध एक ’लोना’ दिया जाता है। पारी समाप्त होने तक खेल इसी तरह खेला जाता है। अंत में अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजयी घोषित कर दिया जाता है।

खो-खो के नियम:

खो-खो खेल के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं।

1. बैठने अथवा दौड़ने के लिए टाॅस द्वारा निर्णय लिया जाता है। 2. खेल के मैदान में सभी चिन्ह आवश्यक रेखाओं द्वारा साफ तथा स्पष्ट अंकित किए जाने चाहिए। 3. बैठने वाली टीम के सभी सदस्य नियमानुसार बैठते हैं अर्थात खिलाडी़ न. एक, तीन , पाँच, सात का मुँह एक तरफ तथा खिलाड़ी न. दो, चार, छः, आठ का मुँह दूसरी तरफ होता है। 4. बैठने वाली टीम के सदस्य इस प्रकार बैठते हैं कि रनरो को किसी प्रकार की रुकावट न हो। 5. भागता हुआ धावक, बैठे हुए खिलाड़ी के पास जाकर पीछे से ऊँची आवाज में उसे ’खो’ देता है। कोई भी बैठा हुआ खिलाड़ी बिना खो लिए उठकर भाग नहीं सकता है। 6. ’खो’ मिलने के बाद वह खिलाड़ी उठकर भागता है तथा उसके स्थान पर ’खो देने वाला खिलाड़ी बैठ जाता है। 7. ’खो’ लेने के पश्चात् यदि उठने वाला खिलाड़ी ’सेंटर लाइन’ क्रास करता है तो फाउल माना जाता है। 8. ’खो’ लेकर भागने वाला खिलाड़ी उठते ही अपनी दिशा का चुनाव करता है और उसी दिशा में भागता है। 9. भागने वाला खिलाड़ी केन्द्र गली से दूसरी दिशा में तब तक नहीं जा सकता जब तक कि पोल के चारों तरफ घूम नहीं लेता। 10. खेल के दौरान भागने वाला खिलाड़ी सीमा से बाहर जा सकता है लेकिन नियमानुसार। 11. कोई भी रनर बैठे हुए खिलाड़ी को छू नहीं सकता। 12. रनर के दोनों पाँव यदि सीमा से बाहर चले जायें तो वह आउट माना जाता है।

3. दिशा ग्रहण करने के बाद सक्रिय खिलाड़ी पुनः ’क्रास लाइन’ पर धावा बोल सकता है तथा इसे फाउल नहीं माना जाता।

अंपायर एवं रैफरी:

खो-खो के खेल में प्रायः दो अम्पायर होते हैं जो लाबी के स्थान पर खड़े रहते हैं तथा मैच का संचालन करते हैं वे केन्द्रीय गली द्वारा विभाजित अपने स्थान से भी खेल की देखरेख करते हैं। दो अम्पायरों के अतिरिक्त खेल में एक रेफरी होत है जो अम्पायरों की सहायता करता है तथा किसी भी प्रकार से खेल में होने वाले नियमों का उल्लंघन होने पर खिलाड़ियों को दण्ड देता है। पारी के अन्त में वह दोनों टीमों के स्कोर एवं विजयी टीम की घोषणा करता है।

टाइम कीपर एवं स्कोरर:

खेल में एक टाइम कीपर होता है जो समस्त खेल के समय का रिकार्ड रखता है तथा सीटी बजाकर खेल का आरम्भ और समाप्ति का संकेत देता है। प्रत्येक पारी के अंको का हिसाब-किताब स्कोरर रखता है और यह भी ध्यान रखता है कि प्रत्येक खिलाड़ी अपने निश्चित क्रम पर आ रहा है अथवा नहीं। परिणाम से पूर्व यह शीट तैयार करता है और फाइनल बना कर रैफरी को दे देता है।

परिणाम:

मैच के अन्त में अधिकतम अंक प्राप्त करने वाली टीम विजयी कहलाती है। दोनों टीमों के समान अंक होने की दशा में एक और पारी खेली जाती है और जो एक मेजर और एक रनर के लिए होती है। फिर भी अंक बराबर हों तो टाइब्रेकर का सहारा लिया जाता है।

- खो-खो के लिए खेले जाने वाले प्रमुख टूर्नामेंट
- राष्ट्रीय पुरुष चैम्पियनशिप
- राष्ट्रीय महिला चैम्पियनशिप
- राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियनशिप
- इंटर स्टेट स्कूल चैम्पियनशिप

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