वैसे तो आजमगढ़ जिला में हथकरघा के अलग-अलग उद्योग हैं लेकिन मुगलों के आक्रमण से पहले आजमगढ़ को "ऋषि की धरती" कहा जाता था। आजमगढ़ तमसा नदी के किनारे बसी है यह वही नदी है जो (जहां से) श्री राम के 14 वर्ष के वनवास का पहला पड़ाव थी। निजामाबाद जिसे मुगलों के आने से पूर्व "हनुमतगढ़" कहा जाता था। यह निजामाबाद अपने हस्तकला ब्लैक पॉटरी की वजह से प्रसिद्ध है। आज निजामाबाद के 250 घर इस हस्तकला से अपनी रोजी कमा रहे हैं। ब्लैक पॉटरी की शुरुआत कैसे हुई वहां काली मिट्टी के बर्तनों की शुरुआत गुजरात के कच्छ से हुई। निजामाबाद (हनुमानगढ़) पर आक्रमण के साथ कुछ कुम्हार गुजरात से "हनुमतगढ़" आए, जो मुगलों के अधीन थे कहते हैं यह कस्बा चारों तरफ झील से घिरा हुआ था इसलिए मुस्लिम महिलाओं के स्नान के लिए भूमिगत मार्ग मनाया गया था। स्नान के लिए मिट्टी के बर्तनों को बनाने की जिम्मेदारी कुम्हारों को सौंपा गया। निजामाबाद के बर्तन इलाहाबाद में पाए गए। मिट्टी के बर्तनों पर कलाकृति जिसे बिदरी वेयर से प्रेरित लगती है, पुराने समय कुम्हार अपने बर्तनों को बैलगाड़ी पर ले जाकर घर-घर बेचा करते थे। और उसके बदले धान, चावल, गेहूं जिसके घर में जो अनाज होता था उपलब्ध होता उस हिसाब से भिन्न में लेन-देन करता था। यह निजामाबाद की नहीं बल्कि भारत के हर गांव की है क्योंकि...